समय रहते ठीक हो सकता है बच्चों के दिल का छेद: जानते हैं उसके लक्षण और इलाज: (Heart hole in children)
- Dr. T. Adil
- Jun 3, 2022
- 3 min read
Updated: Jun 4, 2022
बच्चों के दिल में छेद के लक्षण और इलाज:
हृदय से रक्त प्रवाहित होता है, जो मानव शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। अपने कार्य के दौरान, यह हमारे शरीर में रक्त और ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। हमारे दिल में कोई समस्या हमारे स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर प्रभाव डाल सकती है।
जन्मजात हृदय दोष एक गंभीर बीमारी है जिसमें हृदय में छेद हो जाता है।
दिल में छेद का मतलब ये है की दिल के अंदर के ही दो दीवारों में से किसी एक या कभी कभी दोनों दीवारों में छेद हो जाना, जिससे शुद्ध रक्त एवं अशुद्ध रक्त आपस में मिलने लगते हैं जिससे बच्चे की बेचैनी, सांस ले ने में दिक्कत होने लगती है।
यह मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
१. अलिंद की दीवार में छेद (VSD) ।
२. निलय की दीवार में छेद (ASD)।
३. महाधमनी और फूसफूसियस शिरा का आपस में जुड़ जाना (PDA)।
ऐसे समय होते हैं, जब बच्चे हृदय दोष या उनके दिल की संरचना में दोष के साथ पैदा होते हैं। यह खराबी हृदय के समुचित कार्य को प्रभावित करती है, जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है।
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ह्रदय में छेद के विशेष लक्षण:
बच्चा दूध पीने में परेशान रहता है साथ साथ वो पसीने में भीगा रह सकता है ।
सांस लेने में तकलीफ: सांस लेने में कमी, तेजी से सांस लेना।
होंठ और नाखूनों के पास नीले रंग का दिखना, पीली त्वचा।
निमोनिया का हमेशा होना या स्वसन सम्बन्धी परेशानिया रहना ।
तेज हृदय गति।
वजन बढ़ने में दिक्कत।
वजन बढ़ाने में दिक्कत।
दिल के छिद्रों का उनकी गंभीरता और प्रकार के आधार पर अलग तरह से इलाज किया जाता है। हो सकता है कि शिशु की हृदय की स्थिति गंभीर न हो तो यह अपने आप ही समय के साथ ठीक हो जाती है, दूसरी ओर, कुछ शिशुओं में यह गंभीर हो सकता है, और इसके लिए तुरंत ही ओप्रशन की जरूरत होटी है। अकसर देख गया है की निलय के छेद जो छोटे होते हैं, और उसका पता लोगो को जिंदगी भर नहीं चलता, जब तक की उसका 2D ECHOCARDIOGRAPHY न किया जाए।
आनुवंशिक कारक भी इस रोग की घटना में योगदान कर सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि जिन बच्चों के माता-पिता में जन्मजात हृदय दोष होते हैं, उनमें भी इसके होने की संभावना अधिक होती है। उदाहरण के लिए, डाउन सिंड्रोम एक वंशानुगत बीमारी है। डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा हुए कई बच्चों में जन्मजात हृदय दोष भी होते हैं। इसके अलावा, धूम्रपान करने वाली माताओं में भी बच्चों की दिल की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अब मेडिकल साइंस में बिना बड़े ऑपरेशन किये हुए भी इसका इलाज संभव है, पर यह पूरी तरह डॉक्टर पर निर्भर है की वो कौन सा तरीका चुनता है जो बच्चे के लिए सबसे अच्छा हो ।
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Atal Nagar, Chhattisgarh: (Formerly Naya Raipur) Sri Sathya Sai Sanjeevani Centre for Child Heart Care
Palwal (Haryana): Sri Sathya Sai Sanjeevani International Centre for Child Heart Care & Research
Navi Mumbai, Maharashtra: Sri Sathya Sai Sanjeevani Centre for Child Heart Care & Training in Pediatric Skills
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